Monday, December 23, 2024

ख्वाहिषे

मेरी ख्वहिषे ही क्या बया करू..
जिन्हे मुकम्मल जगह नही मिलती..

मेरे इरादे क्या ही अब बया करू..
जो कभी पुरे नही होते..

है कुछ मेरा ऐसा नसिब 
जो मुझे पुरा नही करता

हुं अभी भी ऊस इंतेझार मे
की मेरा कोई सपना बने

-- ऋतुजा

Sunday, December 15, 2024

या फिर युं ही ..

ना कोई मेसेज
ना कोई call
क्या कभी याद आती हैं हमारी ...या फिर युं ही..

ना देखने की चाह
ना मिलने की आस
क्या मोहब्बत हैं  ये तूम्हारी ...या फिर युं ही..

ना वक्त निकाल पाये हमारे लिये
ना कोई बहाना दे पाये जुस्तजु के लिये
क्या सच मे इश्क ही था ये ...या फिर युं ही...

दफ्तर का काम , घर ,संसार, दोस्त
इन सब के बाद भी priority मे नही हम
क्या सच था ये की हम जान थे तूम्हारी...या फिर युं ही...