ना कोई call
क्या कभी याद आती हैं हमारी ...या फिर युं ही..
ना देखने की चाह
ना मिलने की आस
क्या मोहब्बत हैं ये तूम्हारी ...या फिर युं ही..
ना वक्त निकाल पाये हमारे लिये
ना कोई बहाना दे पाये जुस्तजु के लिये
क्या सच मे इश्क ही था ये ...या फिर युं ही...
दफ्तर का काम , घर ,संसार, दोस्त
इन सब के बाद भी priority मे नही हम
क्या सच था ये की हम जान थे तूम्हारी...या फिर युं ही...
No comments:
Post a Comment