Tuesday, July 2, 2024

रात

वाह..

आज तो कयामत हो गयी
जो कभी सोचा नही वो भी बात हो गयी..

जिसका डर था वो आज हो गया..

पहले रात आ कर गुज़र जाती थी.

लेकीन उनका एक आखरी पैगाम तो होता था...

रात हो गयी हैं , आऊंगा सपनोमे केह के वो विदा लेते थे..

आज पैगाम नही आया.. ऑर रात रुकी हैं... इंतेजार मे..कही सुबह ना हो जाये..

यही सोचते हुये की...
ये तन्हा रात ये गहरी फ़ज़ाएँ 
उसे ढूँडें कि उस को भूल जाएँ

हर तरफ़ थी ख़ामोशी और ऐसी ख़ामोशी 
ना पैगाम था..ना उनकी कोई आहट 
बस आसू  बिखरे हूये थे तकीये पे..

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